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Hindi Poems by Dinesh Kumar Sharma

दीवारें

मुझे दीवारों ने घेरा है

जो हैं ऊँची और नुकीली

कुछ दीवारें पहले से थीं

कुछ खड़ी की खुद मैने

अब यह मेरी राहें रोकें

लेकर कांटे तीखे और पैने

पूर्वाग्रहों से ग्रसित मैं

कदम बढ़ाऊं कैसे

इंसानो से मैं दूर भागता

शेर देख दौड़े सियार जैसे

जीवन यूँ जैसे पानी का बुलबुला

बिन दीवारों जीना सीखो

गिराओ दीवारें जो रिश्ते तोड़ें

गाओ गीत जो दिलों को जोड़ें

सपनों की दुनिया

मेरी अपनी इक दुनिया है

मेरे सपनों की दुनिया

इसे मैंने खुद से बनाया है

चुनिंदा चाहतों से इस को सजाया है

मेरी ख्वाहिशें हीं

मेरी दुनिया का ईंट पत्थर हैं

इन्हीं पत्थरों से अपने

सपनों का घर  बनाया है

सुना है ख्वाहिशें कम ही

पूरी हुआ करती हैं

हमने भी डूबती किश्ती पर

दांव लगाया है

जीवन का घोडा अब थक गया है

यह जानते हुए भी ना जाने है

हमने उसे बेतहाशा दौड़ाया है

ज़िंदगी में हर चाल उलटी  पड़ी अब तक

फिर भी अब की बार खुद पर दांव

लगाया है

दर्द का एहसास

अपनी दर्द का एहसास सभी को होता है

कभी सोचा क्यों सामने वाला रोता है

क्यों उसकी सिसकियाँ नहीं रुकती

आँखें बोलती  हैं पर कुछ नहीं कहती

आंसुओं से कैसे अपने ज़ख़्म धोता है

कभी सोचा क्यों सामने वाला रोता है

क्या दुःख है जो वह छिपाता है

उसका चेहरा क्या कहानी सुनाता है

गम को पीना कितना मुश्किल होता है

कभी सोचा क्यों सामने वाला रोता है

हर दर्द की अपनी इक कहानी है

जो मुश्किल बहुत सुनानी है

जो समझा खुद ही समझा

बड़ी मुश्किल दूजे को समझlनी है

कोई ऐसे ही नहीं गम के अंधेरों में खोता है

कभी सोचा क्यों सामने वाला रोता है

मौत की परछाईं

अब जब के

मौत की परछाईं

आ रही है पास

न जाने क्यों

बढ़ रही लंबा

जीने की प्यास

मन घड रहा रोज़

जीने के नए बहाने

कह रहा मुझे अभी

बहुत काम हैं निपटाने

चंचल मन कर रहा

कोशिश कई नाकाम

प्रभु से बोला

अभी तो मैंने

कभी न बोला

दिल से तेरा नाम

मौत सब देख रही

मंद मंद मुस्कराती

बोली कर ले बेटा

थोड़ी और उछल कूद

जल्दी ही तेरी बारी आती

शादी

चाहे चाबी वाला हो या

नंबर वाला

ताला ताला ही होता है

जो शादी करता कलियुग में

वह हिम्मतवाला ही होता है

शादी चीज़ है ऐसी की

खूंटे से प्यार हो जाता है

चाहे चाबी पास हो

या हो नंबर मालूम

ताले से प्यार हो जाता है